मंगलवार, 9 जनवरी 2024

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज ? बबासिर क्या होता है ? बबासिर के लक्षण ?: The Good, the Bad, and the Ugly

बबासिर का रामबाण इलाज

 

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज, बबासिर क्या होता है बबासिर के लक्षणबाबासिर या पाइल्स  एक  ऐसी स्थिति होती है जिसमें गुदा के आसपास नसों में दबाव पड़ने की वजह से सूजन आ जाती है और जिस कारण से इन नसों से पानी तथा खून भी निकलनां सुरु हो जाता है  कुछ स्थिति में गुदा क्षेत्र के चारो ओर मस्से या दाने हो जाते है lइसी समस्या को बाबासिर या पाइल्स कहा जाता हैं

 

बबासिर क्यो होता है ?

 

बबासिर क्यों होता है कैसे होता है आइये  जाने पाइल्स के कारण ,

   पाइल्स होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है कब्ज अगर आपका पेट साफ नहीं हो रहा है और आपको कब्ज की शिकायत  रहती है तो आपको बवासीर आज नहीं तो कल होना तय है दूसरी बात , मल त्याग में जोर लगाना अर्थात कांख कर मल त्याग करना , अगर ऐसा आप करते हैं तो आपको बवासीर होना तय है इसलिए जब भी आप लैट्रिन जाए तो कांख कर मल त्याग ना करें जो लोग ज्यादा देर तक खड़े होकर काम करते हैं उन्हें भी बवासीर की समस्या हो सकती है जो लोग ज्यादा देर तक एक स्थान पर बैठकर काम करते हैं उन्हें भी बवासीर  होने की संभावना होती है जो लोग ज्यादा गर्म  वाले स्थान में काम करते हैं या ज्यादा गर्म तेल मसाले का सेवन करते हैं उन्हें भी बवासीर होने की समस्या होती है मोटापा के कारण भी पाइल्स होने की समस्या होती है प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं को पाइल्स की समस्या से जूझना पड़ता है यह सभी महत्वपूर्ण फैक्ट्स थे जिनके माध्यम से बवासीर आपके शरीर में शुरू होता है और समय रहते  इलाज नहीं करते हैं तो यह एक बहुत बड़ी समस्या पैदा कर देता है 

 

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बबासिर के लक्षण :-

 

  • गुदा के आसपास कठोर गांठ  बन जाती है 
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  • गांठ से  मल त्याग करते समय खून  का रिसाव होता हैं 
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  • मल त्याग करते समय  असहनीय  दर्द होता  हैं
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  •  सौच के बाद भी पेट साफ नहीं होने का आभास होता है
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  •   मल त्याग  के वक्त बहुत जलन होती है तथा लाल चमकदार खून भी आता है
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  • मल त्याग के बाद खून का आना  बवासीर का लक्षण है
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  •  सौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होती है 
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  •  मल त्याग करते समय अधिक पीड़ा का अनुभव होना बवासीर का लक्षण है 
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  • गुदा के आसपास खुजली होना एवं लालपन होना तथा गुदा के आसपास सूजन होना बबासिर का लक्षण है 
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  • मल त्याग करते समय ब्लड का आना भी बवासीर का लक्षण है 
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  • सौच के वक्त म्यूकस का आना भी बवासीर का लक्षण है
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  •  बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना लेकिन  मल त्यागते समय मल का ना निकलना बवासीर का लक्षण है


बबासिर के बारे मे और पढे :-

क्या करे कि बबासिर जल्द ठीक हो जाये :-

 

बवासीर की शुरुआत में क्या करें की समस्या आगे ना बढ़े तथा समय रहते ठीक भी  हो जाए l

 

अंगूर खाने के लाभ 


लैट्रिन करते समय कांखकर ना करें : - दोस्तों अगर आप लैट्रिन करने बैठे हैं तो 2 मिनट के अंदर जो लैट्रिंग हो गई ठीक है अगर नहीं हो रही है तो कांखकर या दबाव देकर लैट्रिन ना करें इससे बवासीर की समस्या होती है l

 

फाइवर युक्त  भोजन करे : दोस्तों अगर आप अपने भोजन में फाइबर युक्त पदार्थ का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं तो यह  बवासीर के लिए  काफी फायदेमंद होता है जिनमे आप  फल, सब्जी, अनाज तथा दाल को शामिल कर सकते हैं  जिनमे पर्याप्त मात्रा में  फाइबर पाया जाता है जो पाचन को ठीक करके हमारे बवासीर को सही करने में सहायता करता है l

 

उचित मात्रा में पानी पीए  - हम अपने प्रतिदिन के दिनचर्या में पानी का सही इस्तेमाल करके अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद कर सकते हैं अगर शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता है तो  कब्ज की समस्या नहीं होगी और जब कब्ज की समस्या नहीं होगी तो गुदा की नसों पर दबाव नहीं पड़ेगा जिससे बबासीर को ठीक करने  पानी बहुत ही  सहायक होता है l


दिनचर्या का पालन कर रहें स्वस्थ्य 

 

नियमित योग तथा व्यायाम  करे : हम अपने लाइफस्टाइल में प्रतिदिन व्यायाम तथा योग को सामिल करके अपने आप को फिट रख सकते हैं जब हमारी बॉडी फिट होगी तो हमें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि बबासिर  रोग में  कब्ज एक बड़ी समस्या है और व्यायाम करने से  कब्ज खत्म हो जाता है इस कारण से आप प्रतिदिन व्यायाम करे तो बाबासिर से छूटकारा पा सकते हैं l

 

बैठने की आदतों में सुधार करे  : अगर आपका काम एक स्थान पर  बैठकर करने वाला है तो  आपको उठकर बीच-बीच में टहलना भी जरूरी है अगर ऐसा करते हैं तो आप को बाबासिर से जल्द ही मुक्ति मिल जाएगी l

 

सलाद को  भोजन में सामिल करें :- दोस्तों अगर आप अपने भोजन में सलाद को शामिल करते हैं सलाद मे आपको मूली को सबसे अधिक मात्रा मे सामिल करंना है साथ ही आप चाहे तो गाजर , खीरा, प्याज , सेव, अमरूद, अनार, पपीता , को सामिल कर सकते है सलाद को अपने भोजन मे आप सामिल करते है तो  आपको कब्ज की समस्या नहीं होगी जब कब्ज की समस्या नहीं होगी तो आपका बवासीर धीरे-धीरे करके ठीक हो जाएगा l

 

संडास या लैट्रिन कम समय में  करें : -

 

दोस्तों अगर आपको लेट्रिन तेज लगी हो तभी आप लैट्रिन करने जाएं लैट्रिन बैठने के बाद 2-3 मिनट में लेट्रिन करके आपको शौच करके उठ जाना है अगर देर तक बैठे रहेंगे तो गुदा की आसपास की नसों पर दबाव पड़ेगा जिस कारण से आपको अधिक समस्या हो सकती हैं l

 

निष्कर्ष :- दोस्तों आप सभी को बवासीर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए हमने जो उपाय सुझाया हुआ है अगर आप उनका अपने जीवन में इस्तेमाल करते हैं तो बवासीर जैसी समस्या से आप छुटकारा पा सकते हैं ऐसा मेरा विश्वास है

 

अस्वीकारण: यह पूरा आर्टिकल एक सामान्य  जानकारी प्रदान करता है. तथा सेहत का राज ब्लोग किसी भी प्रकार का दावा पेश नही करता है आप किसी भी प्रकार से आर्टिकल मे दी  गयी जानकारी को किसी विषेशज्ञ या चिकित्सक से परामर्श  के बाद ही प्रयोग करे...

  धन्यवाद 

                                                               अगला  आर्टिकल

       इन उपरोक्त  उपायों को करने से फायदा नहीं हो रहा है तो उचित होगा कि आप  डॉक्टर से परामर्श लेकर समय रहते इलाज करा  लें l

 

रविवार, 7 जनवरी 2024

घरेलू उपाय से सही करे जड गठिया बतास cure arthritis with home remedies


यूरिक एसिड बढ़ने के बढने से गठिया(Gout) बतास होती है  लोगों में उम्र 40 के बाद गठिया बतास  की परेसानी होने लगती  है। अर्थराइटिस भी कहा जाता है बहुत से  लोग इस समस्या आज परेशान हैं। शुरुआत मे सबसे पहले गठिया  पैर से सुरु होती है, गठिया की समस्या होने से  शरीर में सूजन आ जाती है कोई फिजियोथेरेपिस्ट के पास कोई डॉक्टर के पास जाता है    लेकिन इसके इलाज की  दवा आपके घर के  ही  औषधि छिपा  है। आपको जानकारी नहीं होती और आप इधर से उधर भटकते रहते हैं। गठिया की बीमारी बहुत ज्यादा खतरनाक होती है।चलने के  साथ-साथ उठने, बैठने और में भी समस्या होती है।कभी जब  तेज दर्द शुरू हो जाता है जो दर्द असहनीय हो जाता है

क्या होता है अर्थराइटिस ? { What is Arthritis }

यह अधिकतर 30 से 50 वर्ष की उम्र में अपना असर दिखाता है। आयुर्वेद में गठिया को वातरक्त कहा गया है। इसमें भी खासतौर पर यह 40 वर्ष के बाद होता है अत: यह वात और रक्त के दूषित होने से संबंधित रोग है। अनुचित आहार-विहार के सेवन से रक्त दूषित होकर वात के सामान्य मार्ग के लिए शरीर में बाधा उत्पन्न करता है तथा फिर वायु और रक्त दूषित होकर सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित होकर विभिन्न लक्षणों जैसे पीड़ा, जलन, लालिमा आदि लक्षण महसूस होने लगते हैं।  तथा महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होता है। गठिया कम उम्र के लोगों में सामान्यतः नहीं पाया जाता है

 गठिया में मुख्य रूप से शरीर की छोटी संधियाँ प्रभावित होती है और उसकी शुरूआत पैर के अंगूठे में दर्द और सूजन के साथ होती है। अक्सर जोडो मे दर्द को, हाथ पैर के दर्द  और गठिया को एक ही रोग मान लिया जाता है, लेकिन सच तो यह होता है कि दोनों में अंतर हैं। जिसमें जोड़ों में अत्यधिक दर्द एवं जोड़ों को घुमाने, मोड़ने और कोई भी गतिविधि करने में परेशानी होती है। जबकि गठिया सामान्य जोड़ों के दर्द से अलग एक स्वतंत्र रोग होता है जिसे गाउट कहा जाता है।  जोड़ो में दर्द होना सामान्य Arthritis कहलाता है, यह जोड़ो में होने वाली एक सूजनकारी बीमारी है सामान्य जोड़ो के दर्द में बुखार होना आवश्यक नहीं है परंतु गठिया (Gout) रोग की शुरूआत में दर्द और सूजन के साथ बुखार भी होता है। यह एक सामन्य लक्षण है 

क्यों होता है  अर्थराइटिस? (Why does arthritis happen? )

 गठिया का मुख्य कारण अनुचित आहार होता है। अर्थराइटिस होने के पीछे जीवनशैली और आहार की बहुत बड़ी भूमिका होती है।  अधिक मात्रा में अत्यधिक मसालेदार भोजन शराब और फ्रूक्टोज मांस, मछली,  युक्त पेय पदार्थों का सेवन।अधिक् नसीले पदार्थोन के सेवन से शरीर  में आई (Metabolism)  चयापचय में खराबी  और मोटापा के कारण  भी अर्थराइटिस होता है।कई बार अन्य रोगों की वजह से भी अर्थराइटिस होता है जैसे-

पॉलिसिथेमिया (Polycythemia) मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) मूत्रवर्धक दवाइयों के सेवन से जैसे हाइड्रोक्लोरथियाडाइड(Hydrochlorthiadide) गुर्दे से संबंधित बीमारी के सेवन से भी अर्थराइटिस रोग हो सकता है।

यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित होता है। इसका संबंध खून में यूरिक एसिड का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है। यह रोग रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण होता है। यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा क्रिस्टल के रूप में जोड़ों, के  आस-पास के ऊतकों  में जमा हो जाता है।  इसके कभी गुर्दे में भी भारीकारण जोड़ों (मुख्यत पैर का अंगूठा) में तथा कभी गुर्दे में भी कारण जोड़ों (मुख्यत पैर का अंगूठा) में तथा भारी मात्रा में क्रिस्टल्स जमा हो जाते हैं।

जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आना अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है तो यूरिक एसिड के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों की जगह पर जमा हो जाते हैं। यह प्राय: गुर्दे या किडनी से बाहर आता है।  यूरिक एसिड मूत्र की खराबी से उत्पन्न होता है और  हमारी रक्षात्मक कोशिकाएँ इन क्रिस्टल को ग्रहण कर लेती है जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निकलने लगते हैं। जिनमे युरिक एसिड प्रमुख होता है 

 यूरिक एसिड का सामान्य स्तर पुरुष में 7 और स्त्री में 6 mg/dl होता है  10 प्रतिशत से कम रोगियों में ज्यादा यूरिक एसिड बनता है। यदि यूरिक एसिड 7,8 या 9 mg/dl हो तो गाउट होने का खतरा 0.5 प्रतिशत और 9 mg/dl से अधिक हो तो जोखिम 4.5 प्रतिशत रहता है। प्यूरिन के चयापचय या मेटाबॉलिज्म में आई खराबी गठिया का मूल कारण होता है। यूरिक एसिड, प्यूरिन के चयापचय का उत्पाद के रूप में गठिया रोग का होना होता है। 90 प्रतिशत रोगियों में गुर्दे यूरिक एसिड का पर्याप्त उत्सर्जन नहीं कर पाते हैं।

अर्थराइटिस के लक्षण (Symptoms of Arthritis)

शरीर के अन्य जोड़ों में तेज दर्द होता है, -पैर के अंगूठे में लालिमा लिए हुए सूजन एवं दर्द होना, जोड़ो में दर्द, जकड़न और सूजन के साथ रोगी को चलने-फिरने और हिलने डुलने में भी तकलीफ होने लगती है,जोड़ो में दर्द, जकड़न और सूजन के साथ रोगी को चलने-फिरने और हिलने डुलने में भी तकलीफ होने लगती है रोगी को दर्द के साथ दर्द के कारण बुखार भी रहता है। अर्थराइटिस होने पर दर्द होने के अलावा और क्या-क्या लक्षण होते हैं यह जानना भी ज़रूरी होता है ताकि रोग की सही समय पर और सही पहचान हो सके।

ब्लैक बेरी और चेरी का जूस गठिया मे बहुत ही लाभदायक होता है क्योकि यह यूरिक एसिड के स्तर को कम कर जोड़ो और किडनी से क्रिस्टल को दूर करने में मदद करता है। इसमें एंटी ऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लैमटोरी गुण होते हैं जो गठिया रोग में लाभदायक होता है।

पपीता यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है पपीते के फल का सेवन करे  जोड़ों मे आई सूजन को दूर करने मे इसमें मौजूद पैपीन एजाइमकरगर होता है ।

-अनानास खाएं, साथ ही यह यूरिक एसिड के क्रिस्टल्स  को तोड़ने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंजाइम ब्रोमीलेन में सूजनरोधी गुण होते हैं 

ताजे फलों एवं सब्जियों का सेवन करें।सुपाच्य एवं हल्का आहार ग्रहण करें।मांसाहार भोजन एवं अण्डा आदि बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।फाइबर युक्त पदार्थों का सेवन करें जैसे; ब्रोक्ली, मक्का आ

अर्थराइटिस से कैसे बचे  ( Tips of Arthritis Prevention )

इसमें विटामिन-ई की भरपूर मात्रा होती है जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है  यूरिक एसिड बढ़ने पर रोगी को उचित मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी यूरिक ऐसिड को पतला कर अर्थराइटिस से बचने के लिए सबसे पहले जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।

आहार-

जैतून  मे विटामिन ई की भरपूर मात्रा होती है  भोजन बनाने के लिए जैतून के तेल का प्रयोग करें। यह शरीर के लिए अच्छा  होता है तथा इसमें जो यूरिक एसिड को  कम  करता है।  जिससे शरीर से यूरिक ऐसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है । किडनी को उत्तेजित करता है 

सुबह नाश्ते में लौकी के जूस का सेवन करे  और चुकंदर का जूस पिएँ, यह यूरिक एसिड को कम करता है। दूध एवं दाल का सेवन न करें, यदि दाल का सेवन करना हो तो छिलके वाली दाल का सेवन करें।दही, चावल, अचार, सूखे मेवे, दाल, पालक, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक। इन सब का सेवन न करें। ये सब चीजें यूरिक एसिड की समस्या को बढ़ाती हैं।यूरिक एसिड बढ़ाने में जिम्मेदार होता है, इसलिए बेकरी के उत्पाद जैसे; पेस्ट्री, कूकिज़ बिल्कुल न खाएँ।बेकरी प्रोडक्ट्स का सेवन न करें क्योंकि इनमें ट्रांस फैट होता है और ट्रांस फैट से भरपूर खाना जीवनशैली रोज सुबह प्राणायाम करने से लाभ मिलता है। 

 सुबह नाश्ते में चुकंदर का जूस पिएँ ,लौकी के जूस का सेवन करे  यह यूरिक एसिड को कम करने मे मदद करता है  दाल  का सेवन करना हो तो छिलके वाली दाल का ही प्रयोग करें , ये सब चीजें यूरिक एसिड की समस्या को बढ़ाती हैं।यूरिक एसिड बढ़ाने में जिम्मेदार होता है, 

अर्थराइटिस का घरेलू उपचार (Home remedies for Arthritis)

अर्थराइटिस के इलाज के लिए जिन अंग्रेजी दवाओ का प्रयोग किया जाता है उनका समय के साथ विपरीत प्रभाव भी शरीर पर पड़ने लगता है। इनके सेवन के बाद भी फिर से गठिया होने की संभावना बनी रहती है। वहीं आयुर्वेदिक उपचार की प्रक्रिया में दोषों को संतुलित किया जाता है, जिसमें बढ़े हुए दोषों को घटाकर और हीन दोषों को बढ़ा कर रोग को मूल से समाप्त किया जाता है तथा प्राकृतिक व आयुर्वेदिक  चिकित्सा होने से पूरा लाभ मिलता साथ ही  कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं।

वैसे तो अर्थराइटिस से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम आयुर्वेद के  विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके सेवन से अर्थराइटिस के दर्द से राहत पाया जा सकता है

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?)

गठिया की शुरूआत यूरिक एसिड के शरीर में सामान्य स्तर से अधिक बढ़ने से होती है तथा इलाज न करने में यह समस्या शरीर के सभी जोड़ो पर अपना असर दिखाती है। जोड़ों में दर्द होने पर जोड़ो में गाँठ की शिकायत होने पर और अंगुलियों में सूजन आना यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण है ऐसे में डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

मेथी से अर्थराइटिस के दर्द से मिलती है राहत (Fenugreek Benefits to Get Relief from Arthritis in Hindi)

एक चम्मच मेथी के बीज लेकर रात में लगभग आधे गिलास पानी में भिगा कर रख दें। सुबह उठकर इस पानी को पिएँ और बीजों को चबाकर खा लें। यह जोड़ों में आई सूजन को कम करती है।

-मेथी, हल्दी तथा सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर उसका पाउड़र बना लें सुबह-शाम 1-1 चम्मच पाउड़र को गुनगुने पानी या दूध के साथ सेवन करें। इसका प्रयोग करने से पैरो की सूजन एवम जोड वाले अंगो को आराम मिलता  है।

-मेथी को साम को धुलकर भिगो कर रख देना चाहिये सुबह उसे छनकर सूती कपडे मे रखकर २-३ दिन रख देना चाहिये जिससे मेथी दाना अंकुरित हो जाता है इस अंकुरित मेथिदाना का प्रतिदिन सेवन करने से ज़ोड़ों के दर्द और गठिया मे आराम  मिलता है।

अदरक

हर घर में अदरक होता है। लोग इसे सब्जी में डालकर खाते भी हैं लेकिन अधिकांश लोगों को इसके औषधिय लाभ के बारे में जानकारी नहीं हैं। अदरक से कई गंभीर बीमारी ठीक हो जाता है। अदरक के सेवन से प्रोस्टाग्लैंडीन का स्तर कम होने में काफी ज्यादा मदद मिलती है। वहीं ये जोड़ों के दर्द को कम करने में काफी मदद करता है। अदरक से सूजन की समस्या भी दूर हो जाती। अदर का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं।

हल्दी

हल्दी : हल्दी में कई औषिधि पाई जाती हैं जो सेहत को स्वस्थ बना के रखने में मददगार साबित होती हैं। यदि आप गठिया की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो आप हल्दी का सेवन जरूर करें। हल्दी में करक्यूमिन नामक एक तत्व पाया जाता है, जो शरीर में प्रचुर मात्रा में पहुंच जाता है तो शरीर से अनेकों बीमारियां दूर हो जाती है। हल्दी के सेवन से जोड़ों के दर्द दूर हो जाता है। साथ ही हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे अनेकों तत्व भी पाया जाते हैं

धनिया से अर्थराइटिस के दर्द से मिलती है राहत (Dhania Help to Get Relief from Arthritis in Hindi)


आधा चम्मच धनिया के बीज को पीस कर एक गिलास गुनगुने पानी में मिला कर पिएँ, साथ ही अपने भोजन में धनिया के बीजों का इस्तेमाल करें। धनिया में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो पाचन तंत्र को बेहतर कर यूरिक एसिड के स्तर को कम करते हैं।


लहसुन : 

लहसुन भी सेहत के लिए काफी अच्छा माना गया है। जो लोग नियमित रूप से लहसुन का सेवन करते हैं उन्हें शायद ही कोई बीमारी होती है। यदि आप लहसुन को रोज अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो इससे यूरिक एसिड की समस्या कम हो जाती है। आप लहसुन की तीन से चार कलियां रोजाना खा सकते हैं।गठिया रोग को दूर करने में भी यह काफी लाभदायक है।

अर्थराइटिस मे अजवाइन सेहोता है लाभ और दर्द होता है खत्म   (Celery is beneficial in arthritis and relieves pain.in hindi )


 आधा चम्मच अजवायन और एक टुकड़ा अदरक एक गिलास पानी में डालकर उबालें। इसे तब तक उबाले जब तक आधा गिलास ना हो जाये अब  इस आधे गिलास की मात्रा को सुबह-शाम दिन में दो बार पिएँ। इस योग के सेवन से पसीना आता है जो शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालने में मदद मिलती है।

मुलेठी

मुलेठी : मुलेठी का स्वाद काफी अच्छा होता है। इस कारण से इसे बच्चा भी आसानी से खा लेते हैं। अगर आप या फिर आपके बच्चे सर्दी-जुकाम जैसी ढेरों समस्याएं से ग्रस्त हैं तो इसे एक बार जरूर अपनाएं। मुलेठी में कई प्रकार के एेसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं।  गठिया से राहत दिलाने मे मुलेठी में पाए जाने वाले तत्व काम करते हैं

चेरी का सेवन से अर्थराइटिस के दर्द से मिलती है राहत (Cherry to Get Relief from Arthritis in Hindi)


चेरी का सेवन से अर्थराइटिस के दर्द से मिलती है राहत (Cherry to Get Relief from Arthritis in Hindi)
गठिया के रोगी को प्रतिदिन लगभग एक कप चेरी का सेवन करना चाहिए। हाल ही में हुए एक शोथ के मुताबिक जो लोग नियमित रूप से चेरी का सेवन करते हैं उनमें गठिया होने का खतरा 35 प्रतिशत तक कम होता है।

 

अस्वीकारण: यह पूरा आर्टिकल एक सामान्य  जानकारी प्रदान करता है. तथा सेहत का राज ब्लोग किसी भी प्रकार का दावा पेश नही करता है आप किसी भी प्रकार से आर्टिकल मे दी  गयी जानकारी को किसी विषेशज्ञ या चिकित्सक से परामर्श  के बाद ही प्रयोग करे...
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शनिवार, 6 जनवरी 2024

सेहतमंद रहने के लिये 13 टिप्स ( 13 tips to stay healthy ) जो आपको रखेंगे तरोताजा और स्फूर्तिवान ,इस ठंड के मौसम मे जरुर करे प्रयोग

हेल्दी लाइफस्टाइल बनाए रखने के लिए कुछ सुझाव हैं जो आपको एक बेहतर और स्वस्थ जीवन की दिशा में मदद कर सकते हैं: हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना और बनाए रखना एक सकारात्मक और सुखद जीवन की ओर कदम बढ़ाने का संकेत है। हेल्दी लाइफस्टाइल का मतलब है आज लोग डाइट से लेकर कसरत तक, वो सभी काम कर रहे हैं, जिससे वे सेहतमंद रहें और बीमारियां उनसे दूर रहें। हालांकि, एक अच्छी सेहत के लिए सिर्फ डाइट और एक्सरसाइज़ ही नहीं बल्कि लाइफस्टाइल में भी बदलाव लाने की ज़रूरत होती है यानि कि नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, नियमित कार्य, मानसिक स्वास्थ्य तथा सामाजिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना तथा  पूर्ण नींद, तथा सुरक्षित और सकारात्मक आत्म-विस्वास से है।

 

1.  स्वस्थ आहार व हेल्दी नाश्ता करें [ Healthy Diet ] :-  स्वस्थ आहार हेल्दी लाइफस्टाइल का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग सुबह का नाश्ता नहीं करते और सीधे दिन का खाना खाते हैं। नाश्ता छोड़ने की आदत को बदलें, और सुबह व्यायाम करने के बाद भरपेट नाश्ता करें। ये आपको पूरे दिन काम करने की एनर्जी देगा। अपने आहार में सब्जियां, फल, अनाज, दालें, मांस, और सही प्रमाण में प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स को शामिल करें। अधिक मात्रा में तेल, चीनी, और प्रोसेस्ड फूड से बचें।

 

2 - बाहर का खाने से परहेज़ करें :{avoid eating outside }  

बाहर का खाना खाने से परहेज करे  क्योकि बाजारी खाना बनाने मे कई प्रकार के ऐसे चाइनिज मसालो का प्रयोग किया जाता है जो स्वाद को बढाने का काम करते है लेकिन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते है ,इसलिये बाहर का खाना  जितना हो सके कम खाएं। ज़्यादा से ज़्यादा घर का बना सादा और सुपाच्य खाना ही खाये ताकि आपका पाचन अच्छा रहे, बीमारियों से दूर रहें  जिससे आप  सवस्थ बने रहे।

 

3. नियमित व्यायाम तथा वर्क आउट जरूर करे  :

दिनभर काम करने के लिए आपके शरीर को ताकत की ज़रूरत होती है। यही वजह है कि सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करने की आदत आपका स्टैमिना बढ़ाएगी और आपको एनर्जी देगी। साथ ही आप मानसिक तौर पर भी स्वस्थ और मज़बूत बनते हैं। नियमित व्यायाम से शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखा जा सकता है और स्थूलता, हृदय स्वास्थ्य, और मानसिक तनाव से राहत प्रदान कर सकता है। कम से कम 30 मिनट की रोजाना सुबह  साम व्यायाम जरूर  करें, जैसे कि ट्रेडमिल, जॉगिंग, योग, या स्विमिंग।

 

4. मानसिक व सामाजिक स्वास्थ्य: -  [ mental and social health ]

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा है। समय समय पर ध्यान और योग का अभ्यास  करें, अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं, और अगर आपको आवश्यकता हो तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लें

 

5-रात का खाना देर से न खाएं :[don't eat dinner late }

कोशिश करें कि रात का खाना 8 बजे तक खा ले । साथ ही खाना खाते ही न सोएं। खाना खाने के बाद कम से कम ५०० कदम टहलने के बाद ही सोने जाये कम से कम 2-3  घण्टे तक खाना खाने के बाद टहलने, गपसप , समाचार  चर्चा के लिये निकालना चाहिए ताकि खाने को पचने का अच्छा समय मिल जाए।


6-.  नींद 7-8 घंटे की  प्राप्त करें:  

Get 7-8 hours of sleep ]

सही नींद का पूरा होना भी हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए महत्वपूर्ण है। प्रतिदिन कम से कम 7-8 घंटे की नींद प्राप्त करें। हम पहले से ही जानते हैं कि हमें हर रात कम से कम सात घंटे सोने की जरूरत होती है।  इस बारे में सोचें और अपनी नींद में बाधा डालने वाले कारकों में सुधार करें। अच्छी नींद लेने से आप कई बीमारियों से बचे रहते हैं। साथ ही आपका मूड, मोटिवेशन और ऊर्जा के स्तर हमेशा अच्छा रहता है। सही नींद आपकी ऊर्जा को बनाए रखने में मदद कर सकती है और शारीरिक स्वास्थ्य मे भी सुधार करता है।

 

7 .अच्छे लोगों की संगति में रहें :-  [ hang out with good people ]

 कहा भी गया है कि जैसी संगत वैसी रंगत इसलिये कोसिस करे कि अच्छे लोगो से ही दोस्ती करे । दूसरी तरफ, जिन लोगों से आप संबंधित नहीं हैं या जिनके नकारात्मक दृष्टिकोण हैं जीवन सकारात्मकता फैलाने वाले और समान रुचियों वाले लोगों के साथ जुड़ना आपको उत्साहित और सक्रिय रखेगा उनसे आप दूर रहें। वे केवल आपके ऊर्जा को खा कर खत्म कर देंते हैं। इसलिए अच्छे लोगों से दोस्ती रखें और उन्हीं की संगति में रहें।

 

8. धूप का सेवन जरूर करे :  { be sure to consume sunlight ]

 सूर्य कि किरणो से हमे विटामिन डी की प्राप्ति होती है इसलिये सूर्य की किरणों से सीधे संपर्क में रहना भी हेल्दी लाइफस्टाइल का हिस्सा है।  जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।


9. सकारात्मक सोच रखे : {keep positive thoughts}

 स्वस्थ और सकारात्मक जीवन जीने के लिए, स्वस्थ व सकारात्मक सोच होना जरूरी है सकारात्मक सोच का  उपाय बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। बिना बुरी आदतों के अपना सोच  अच्छा   सकारात्मक करना हेल्दी लाइफस्टाइल को बनाए रखने में मदद करता है।

10. हर दिन कुछ अच्छा करें  :-  { do something good every day }

हमे रोज दूसरो के साथ अच्छा ही करना है कोइ ऐसा कार्य जिसे आप अधिक बार अभ्यास करना चाहते हैं या दूसरों के साथ साझा करना चाहते हैं? कुछ ऐसा करें जो आपको हर दिन पसंद हो, भले ही यह स्वस्थ भोजन पकाने या अपना पसंदीदा गाना सुनने जैसा आसान हो। इस तरह हर दिन कुछ  सार्थक काम करने से आप तन और मन दोनों से एक्टिव और खुश रहेंगे।


11. अच्छा सोचें :- think well

 एक सकारात्मक सोच व  दयालु मानसिकता बनाए रखना ऊर्जा संरक्षण का एक खूबसूरततरीका है। इस तरह की सोच का अभ्यास करने से आप हमेशा  दूसरो को खुश रखने के साथ ही स्वयम को भी खुश रख पायेंगे । साथ ही आपको कोशिश करनी चाहिए कि कुछ भी हो आपको हमेशा अच्छा और पॉजिटिव सोचना है। इससे आप कभी भी तनाव मे  नहीं होंगे और मानसिक तौर पर मजबूत व स्वस्थ्य  होंगे।

 12.स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले : Be sure to take advice from a health expert ]

आपकी प्रतिदिन की आदतों, आहार,बिहार और रोजमर्रा की जीवनशैली के संरचना के लिए एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेना स्वस्थ्य जीवन शैली को बनाए रखने में सहायक होता है।

 

13 .सुबह जल्दी उठना :- [ Get up early in the morning ]

सुबह जल्दी उठने की आदत आपको कई तरह से स्वास्थ्य लाभ  पहुंचाएगी। सुबह का वातावरण शांत रहता है  साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा ज़्यादा वातावरण मे ज्यादा होती है,  इसलिए अगर सुबह सूरज उगने से पहले उठ जाते है तो आपको स्वस्थ्य रहने में दिनचर्या मदद कर सकता है। सूर्योदय मे सुर्य का प्रकाश से एनर्जी और पॉजिटिविटी आती है। साथ ही ये आपके मूड को सही बनाने में भी सहयोग  करता है। इसके अलावा आप सुबह उठने के बाद योग तथा प्राणायम भी कर  सकते हैं जो कि आपको पूरी तरह से हेल्दी और स्वस्थ्य रख सकता है  


अस्वीकरण: यह पूरा आर्टिकल एक सामान्य  जानकारी प्रदान करता है. तथा सेहत का राज ब्लोग किसी भी प्रकार का दावा पेश नही करता है आप किसी भी प्रकार से आर्टिकल मे दी  गयी जानकारी को किसी विषेशज्ञ या चिकित्सक से परामर्श  के बाद ही प्रयोग करे...
  धन्यवाद