यूरिक एसिड बढ़ने के बढने से गठिया(Gout) बतास होती है लोगों में उम्र 40 के बाद गठिया बतास की परेसानी होने लगती है। अर्थराइटिस भी कहा जाता है बहुत से लोग इस समस्या आज परेशान हैं। शुरुआत मे सबसे पहले गठिया पैर से सुरु होती है, गठिया की समस्या होने से शरीर में सूजन आ जाती है कोई फिजियोथेरेपिस्ट के पास कोई डॉक्टर के पास जाता है लेकिन इसके इलाज की दवा आपके घर के ही औषधि छिपा है। आपको जानकारी नहीं होती और आप इधर से उधर भटकते रहते हैं। गठिया की बीमारी बहुत ज्यादा खतरनाक होती है।चलने के साथ-साथ उठने, बैठने और में भी समस्या होती है।कभी जब तेज दर्द शुरू हो जाता है जो दर्द असहनीय हो जाता है
क्या होता है अर्थराइटिस ? { What is Arthritis }
यह अधिकतर 30 से 50 वर्ष की उम्र में अपना असर दिखाता है। आयुर्वेद में गठिया को वातरक्त कहा गया है। इसमें भी खासतौर पर यह 40 वर्ष के बाद होता है अत: यह वात और रक्त के दूषित होने से संबंधित रोग है। अनुचित आहार-विहार के सेवन से रक्त दूषित होकर वात के सामान्य मार्ग के लिए शरीर में बाधा उत्पन्न करता है तथा फिर वायु और रक्त दूषित होकर सम्पूर्ण शरीर में प्रवाहित होकर विभिन्न लक्षणों जैसे पीड़ा, जलन, लालिमा आदि लक्षण महसूस होने लगते हैं। तथा महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होता है। गठिया कम उम्र के लोगों में सामान्यतः नहीं पाया जाता है
गठिया में मुख्य रूप से शरीर की छोटी संधियाँ प्रभावित होती है और उसकी शुरूआत पैर के अंगूठे में दर्द और सूजन के साथ होती है। अक्सर जोडो मे दर्द को, हाथ पैर के दर्द और गठिया को एक ही रोग मान लिया जाता है, लेकिन सच तो यह होता है कि दोनों में अंतर हैं। जिसमें जोड़ों में अत्यधिक दर्द एवं जोड़ों को घुमाने, मोड़ने और कोई भी गतिविधि करने में परेशानी होती है। जबकि गठिया सामान्य जोड़ों के दर्द से अलग एक स्वतंत्र रोग होता है जिसे गाउट कहा जाता है। जोड़ो में दर्द होना सामान्य Arthritis कहलाता है, यह जोड़ो में होने वाली एक सूजनकारी बीमारी है सामान्य जोड़ो के दर्द में बुखार होना आवश्यक नहीं है परंतु गठिया (Gout) रोग की शुरूआत में दर्द और सूजन के साथ बुखार भी होता है। यह एक सामन्य लक्षण है
क्यों होता है अर्थराइटिस? (Why does arthritis happen? )
गठिया का मुख्य कारण अनुचित आहार होता है। अर्थराइटिस होने के पीछे जीवनशैली और आहार की बहुत बड़ी भूमिका होती है। अधिक मात्रा में अत्यधिक मसालेदार भोजन शराब और फ्रूक्टोज मांस, मछली, युक्त पेय पदार्थों का सेवन।अधिक् नसीले पदार्थोन के सेवन से शरीर में आई (Metabolism) चयापचय में खराबी और मोटापा के कारण भी अर्थराइटिस होता है।कई बार अन्य रोगों की वजह से भी अर्थराइटिस होता है जैसे-
पॉलिसिथेमिया (Polycythemia) मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) मूत्रवर्धक दवाइयों के सेवन से जैसे हाइड्रोक्लोरथियाडाइड(Hydrochlorthiadide) गुर्दे से संबंधित बीमारी के सेवन से भी अर्थराइटिस रोग हो सकता है।
यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित होता है। इसका संबंध खून में यूरिक एसिड का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है। यह रोग रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाने के कारण होता है। यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा क्रिस्टल के रूप में जोड़ों, के आस-पास के ऊतकों में जमा हो जाता है। इसके कभी गुर्दे में भी भारीकारण जोड़ों (मुख्यत पैर का अंगूठा) में तथा कभी गुर्दे में भी कारण जोड़ों (मुख्यत पैर का अंगूठा) में तथा भारी मात्रा में क्रिस्टल्स जमा हो जाते हैं।
जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आना अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है तो यूरिक एसिड के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों की जगह पर जमा हो जाते हैं। यह प्राय: गुर्दे या किडनी से बाहर आता है। यूरिक एसिड मूत्र की खराबी से उत्पन्न होता है और हमारी रक्षात्मक कोशिकाएँ इन क्रिस्टल को ग्रहण कर लेती है जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निकलने लगते हैं। जिनमे युरिक एसिड प्रमुख होता है
यूरिक एसिड का सामान्य स्तर पुरुष में 7 और स्त्री में 6 mg/dl होता है 10 प्रतिशत से कम रोगियों में ज्यादा यूरिक एसिड बनता है। यदि यूरिक एसिड 7,8 या 9 mg/dl हो तो गाउट होने का खतरा 0.5 प्रतिशत और 9 mg/dl से अधिक हो तो जोखिम 4.5 प्रतिशत रहता है। प्यूरिन के चयापचय या मेटाबॉलिज्म में आई खराबी गठिया का मूल कारण होता है। यूरिक एसिड, प्यूरिन के चयापचय का उत्पाद के रूप में गठिया रोग का होना होता है। 90 प्रतिशत रोगियों में गुर्दे यूरिक एसिड का पर्याप्त उत्सर्जन नहीं कर पाते हैं।
अर्थराइटिस के लक्षण (Symptoms of Arthritis)
शरीर के अन्य जोड़ों में तेज दर्द होता है, -पैर के अंगूठे में लालिमा लिए हुए सूजन एवं दर्द होना, जोड़ो में दर्द, जकड़न और सूजन के साथ रोगी को चलने-फिरने और हिलने डुलने में भी तकलीफ होने लगती है,जोड़ो में दर्द, जकड़न और सूजन के साथ रोगी को चलने-फिरने और हिलने डुलने में भी तकलीफ होने लगती है रोगी को दर्द के साथ दर्द के कारण बुखार भी रहता है। अर्थराइटिस होने पर दर्द होने के अलावा और क्या-क्या लक्षण होते हैं यह जानना भी ज़रूरी होता है ताकि रोग की सही समय पर और सही पहचान हो सके।
ब्लैक बेरी और चेरी का जूस गठिया मे बहुत ही लाभदायक होता है क्योकि यह यूरिक एसिड के स्तर को कम कर जोड़ो और किडनी से क्रिस्टल को दूर करने में मदद करता है। इसमें एंटी ऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लैमटोरी गुण होते हैं जो गठिया रोग में लाभदायक होता है।
पपीता यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है पपीते के फल का सेवन करे जोड़ों मे आई सूजन को दूर करने मे इसमें मौजूद पैपीन एजाइमकरगर होता है ।
-अनानास खाएं, साथ ही यह यूरिक एसिड के क्रिस्टल्स को तोड़ने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंजाइम ब्रोमीलेन में सूजनरोधी गुण होते हैं
ताजे फलों एवं सब्जियों का सेवन करें।सुपाच्य एवं हल्का आहार ग्रहण करें।मांसाहार भोजन एवं अण्डा आदि बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।फाइबर युक्त पदार्थों का सेवन करें जैसे; ब्रोक्ली, मक्का आ
अर्थराइटिस से कैसे बचे ( Tips of Arthritis Prevention )
इसमें विटामिन-ई की भरपूर मात्रा होती है जो यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है यूरिक एसिड बढ़ने पर रोगी को उचित मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी यूरिक ऐसिड को पतला कर अर्थराइटिस से बचने के लिए सबसे पहले जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।
आहार-
जैतून मे विटामिन ई की भरपूर मात्रा होती है भोजन बनाने के लिए जैतून के तेल का प्रयोग करें। यह शरीर के लिए अच्छा होता है तथा इसमें जो यूरिक एसिड को कम करता है। जिससे शरीर से यूरिक ऐसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है । किडनी को उत्तेजित करता है
सुबह नाश्ते में लौकी के जूस का सेवन करे और चुकंदर का जूस पिएँ, यह यूरिक एसिड को कम करता है। दूध एवं दाल का सेवन न करें, यदि दाल का सेवन करना हो तो छिलके वाली दाल का सेवन करें।दही, चावल, अचार, सूखे मेवे, दाल, पालक, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक। इन सब का सेवन न करें। ये सब चीजें यूरिक एसिड की समस्या को बढ़ाती हैं।यूरिक एसिड बढ़ाने में जिम्मेदार होता है, इसलिए बेकरी के उत्पाद जैसे; पेस्ट्री, कूकिज़ बिल्कुल न खाएँ।बेकरी प्रोडक्ट्स का सेवन न करें क्योंकि इनमें ट्रांस फैट होता है और ट्रांस फैट से भरपूर खाना जीवनशैली रोज सुबह प्राणायाम करने से लाभ मिलता है।
सुबह नाश्ते में चुकंदर का जूस पिएँ ,लौकी के जूस का सेवन करे यह यूरिक एसिड को कम करने मे मदद करता है दाल का सेवन करना हो तो छिलके वाली दाल का ही प्रयोग करें , ये सब चीजें यूरिक एसिड की समस्या को बढ़ाती हैं।यूरिक एसिड बढ़ाने में जिम्मेदार होता है,
अर्थराइटिस का घरेलू उपचार (Home remedies for Arthritis)
अर्थराइटिस के इलाज के लिए जिन अंग्रेजी दवाओ का प्रयोग किया जाता है उनका समय के साथ विपरीत प्रभाव भी शरीर पर पड़ने लगता है। इनके सेवन के बाद भी फिर से गठिया होने की संभावना बनी रहती है। वहीं आयुर्वेदिक उपचार की प्रक्रिया में दोषों को संतुलित किया जाता है, जिसमें बढ़े हुए दोषों को घटाकर और हीन दोषों को बढ़ा कर रोग को मूल से समाप्त किया जाता है तथा प्राकृतिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा होने से पूरा लाभ मिलता साथ ही कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं।
वैसे तो अर्थराइटिस से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम आयुर्वेद के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके सेवन से अर्थराइटिस के दर्द से राहत पाया जा सकता है
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?)
गठिया की शुरूआत यूरिक एसिड के शरीर में सामान्य स्तर से अधिक बढ़ने से होती है तथा इलाज न करने में यह समस्या शरीर के सभी जोड़ो पर अपना असर दिखाती है। जोड़ों में दर्द होने पर जोड़ो में गाँठ की शिकायत होने पर और अंगुलियों में सूजन आना यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण है ऐसे में डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
मेथी से अर्थराइटिस के दर्द से मिलती है राहत (Fenugreek Benefits to Get Relief from Arthritis in Hindi)
-मेथी, हल्दी तथा सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर उसका पाउड़र बना लें सुबह-शाम 1-1 चम्मच पाउड़र को गुनगुने पानी या दूध के साथ सेवन करें। इसका प्रयोग करने से पैरो की सूजन एवम जोड वाले अंगो को आराम मिलता है।
-मेथी को साम को धुलकर भिगो कर रख देना चाहिये सुबह उसे छनकर सूती कपडे मे रखकर २-३ दिन रख देना चाहिये जिससे मेथी दाना अंकुरित हो जाता है इस अंकुरित मेथिदाना का प्रतिदिन सेवन करने से ज़ोड़ों के दर्द और गठिया मे आराम मिलता है।
अदरक :
हर घर में अदरक होता है। लोग इसे सब्जी में डालकर खाते भी हैं लेकिन अधिकांश लोगों को इसके औषधिय लाभ के बारे में जानकारी नहीं हैं। अदरक से कई गंभीर बीमारी ठीक हो जाता है। अदरक के सेवन से प्रोस्टाग्लैंडीन का स्तर कम होने में काफी ज्यादा मदद मिलती है। वहीं ये जोड़ों के दर्द को कम करने में काफी मदद करता है। अदरक से सूजन की समस्या भी दूर हो जाती। अदर का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं।
हल्दी :
हल्दी : हल्दी में कई औषिधि पाई जाती हैं जो सेहत को स्वस्थ बना के रखने में मददगार साबित होती हैं। यदि आप गठिया की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो आप हल्दी का सेवन जरूर करें। हल्दी में करक्यूमिन नामक एक तत्व पाया जाता है, जो शरीर में प्रचुर मात्रा में पहुंच जाता है तो शरीर से अनेकों बीमारियां दूर हो जाती है। हल्दी के सेवन से जोड़ों के दर्द दूर हो जाता है। साथ ही हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे अनेकों तत्व भी पाया जाते हैं
धनिया से अर्थराइटिस के दर्द से मिलती है राहत (Dhania Help to Get Relief from Arthritis in Hindi)
आधा चम्मच धनिया के बीज को पीस कर एक गिलास गुनगुने पानी में मिला कर पिएँ, साथ ही अपने भोजन में धनिया के बीजों का इस्तेमाल करें। धनिया में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो पाचन तंत्र को बेहतर कर यूरिक एसिड के स्तर को कम करते हैं।
लहसुन :
लहसुन भी सेहत के लिए काफी अच्छा माना गया है। जो लोग नियमित रूप से लहसुन का सेवन करते हैं उन्हें शायद ही कोई बीमारी होती है। यदि आप लहसुन को रोज अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो इससे यूरिक एसिड की समस्या कम हो जाती है। आप लहसुन की तीन से चार कलियां रोजाना खा सकते हैं।गठिया रोग को दूर करने में भी यह काफी लाभदायक है।
अर्थराइटिस मे अजवाइन सेहोता है लाभ और दर्द होता है खत्म (Celery is beneficial in arthritis and relieves pain.in hindi )
मुलेठी :
मुलेठी : मुलेठी का स्वाद काफी अच्छा होता है। इस कारण से इसे बच्चा भी आसानी से खा लेते हैं। अगर आप या फिर आपके बच्चे सर्दी-जुकाम जैसी ढेरों समस्याएं से ग्रस्त हैं तो इसे एक बार जरूर अपनाएं। मुलेठी में कई प्रकार के एेसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। गठिया से राहत दिलाने मे मुलेठी में पाए जाने वाले तत्व काम करते हैं
चेरी का सेवन से अर्थराइटिस के दर्द से मिलती है राहत (Cherry to Get Relief from Arthritis in Hindi)